Shayari on maa || Shayari on maa in Hindi – मां के बिना हम में से कोई अपने जीवन की कल्पना नहीं कर सकता । इतना दर्द और पीड़ा सहकर हमें इस खूबसूरत दुनिया में लाने के लिए हम सब उसके शुक्रगुजार है । अपने बच्चे के लिए मां का प्यार दुनिया में सब चीज़ों से बढ़ कर है ।
यह किसी कानून को नहीं जानता , किसी से नहीं डरता । यह Shayari on maa सब चीज़ों से लडने की हिम्मत रखता है और अपने बच्चे के रास्ते में आने वाली हर मुसीबतों को कुचलना जनता है ।
एक मां अपने बच्चो को गर्भ में खून के साथ पालती है और अपने बच्चे के पालन – पोषण के लिए बहुत त्याग करती है । वह इस Shayari on maa पृथ्वी पर ईश्वर का विकल्प है ।
दुनिया का कोई भी प्रेम माता – पिता के प्रेम से बढ़ कर नहीं सकता , संसार के सभी महान पुरुष अपनी मां के समर्थन और भक्ति के कारण ही उन ऊंचाइयों तक पहुंचे हैं ।
Shayari on maa
जो हमेशा उनके लिए खड़ी रही और मुकाबले के लिए प्रेरित करती रही ।इस दुनिया में प्रवेश करने से लेकर , इस दुनिया को अलविदा कहने तक हम अपने जीवन में कई रिश्तों की संरचना कर जाते हैं ।
कुछ रिश्ते थोड़ी देर के लिए बनाए जाते हैं और कुछ हमें धोखा दे जाते हैं , और कुछ हमें छोड़ जाते हैं जबकि सबसे ज्यादा आवश्यकता हमें उनकी ही होती है , और कुछ हमारी तरह ही सुख – दुःख में हमेशा साथ देते हैं ।
पर एक व्यक्ति जो बिना किसी लालच के , बिना किसी स्वार्थ के देखभाल , स्नेह और प्यार करती है , ” वो है मां ” ।
मां अपने बच्चे की प्रशिक्षक और मार्गदर्शिका होती है ।
वो हमे सिखाती है कि हमें जीवन की मुसीबतों को कैसे झेलना है , कैसे बोलना है , कैसे लिखना है , और व्यवहार संबंधी सभी सबक सिखाती है ।
जो हमे बेहतर इंसान बनने और इस दुनिया में अपने आचरण को अच्छा रखने में मदद करता है।
” मां ” जिसमें सारा संसार व्याप्त है । संसार को चलाने वाले , बच्चो के लिए संसार से लड़ जाने वाली , अपनी हर संतान को बराबर प्यार करने वाली एक इंसान की पहली गुरु ।
mom dad Shayari
मेरे बच्चे तुझे…………………और क्या चाहिए
बूढ़े माँ बाप ने तुझको अपनी जवानी दी है !!
माँ बाप का दिल जीत लो कामयाब हो जाओगे,
वरना सारी दुनिया जीतकर भी हार जाओगे…
घर की इस बार मुकमल मे तलाशी लूँगा,
गम छुपा कर मेरे माँ-बाप कहाँ रखते थे…
Beautiful shayari on maa
मां जो सारी उम्र अपने परिवार के लिए समर्पित कर देती है । लेकिन उसके मन में कभी कोई लालच नहीं आता । हम सब अपनी मां से बहुत प्यार करते हैं और मां के लिए दुआ करते हैं । इसी लिए मै ” मां ” को समर्पित यहां ” मां ” के लिए शायरी संग्रह लाई हूं
चलती फिरती आंखों से अजां देखी है,
मैंने जन्नत तो नहीं देखी लेकिन मां देखी है।
मुझे माफ़ कर मेरे या खुदा
झुक कर करू तेरा सजदा
तुझसे भी पहले माँ मेरे लिए
ना कर कभी मुझे माँ से जुदा!
जिसके होने से मैं खुद को मुक्कम्मल मानता हूँ,
में खुदा से पहले मेरी माँ को जानता हूँ।
मां वो सितारा है जिसकी गोद में जाने के लिए हर कोई तरसता है,
जो मां को नहीं पूछते वो जिंदगी भर जन्नत को तरसता है।
माँ की बूढी आंखों को अब कुछ दिखाई नहीं देता,
लेकिन वर्षों बाद भी आंखों में लिखा हर एक अरमान पढ़ लिया।
ना आसमां होता ना जमीं होती,
अगर मां तुम ना होती।
सबकुछ मिल जाता है दुनिया में मगर,
याद रखना की बस माँ-बाप नहीं मिलते,
मुरझा कर जो गिर गए एक बार डाली से,
ये ऐसे फूल हैं जो फिर नहीं खिलते।
रूह के रिश्तों की ये गहराइयाँ तो देखिये,
चोट लगती है हमें और चिल्लाती है माँ,
हम खुशियों में माँ को भले ही भूल जायें,
जब मुसीबत आ जाए तो याद आती है माँ।
बहुत बेचैन हो जाता है जब कभी दिल मेरा,
मैं अपने पर्स में रखी माँ की तस्वीर को देख लेता हूँ।
बेसन की रोटी पर, खट्टी चटनी सी माँ…
याद आती है चौका, बासन, चिमटा, फूंकनी जैसी माँ।
किसी को घर मिला हिस्से में या कोई दुकान आई,
मैं घर में सबसे छोटा था मेरे हिस्से में माँ आई।।
किसी भी मुश्किल का अब किसी को हल नहीं मिलता,
शायद अब घर से कोई माँ के पैर छूकर नहीं निकलता।।
मैंने कल शब चाहतों की सब किताबें फाड़ दी,
सिर्फ एक कागज़ पर लफ्जे माँ रहने दिया
ख़ुदा ने ये सिफ़त दुनिया की हर औरत को बख्शी है,
कि वो पागल भी हो जाए तो बेटे याद रहते है।।
रूह के रिश्तों की ये गहराइयाँ तो देखिये,
चोट लगती है हमें और चिल्लाती है माँ,
हम खुशियों में माँ को भले ही भूल जायें,
जब मुसीबत आ जाए तो याद आती है माँ।।
सख्त राहों में भी आसान सफ़र लगता है,
ये मेरी माँ की दुआओं का असर लगता है।।
वो लिखा के लायी है किस्मत में जागना,
माँ कैसे सो सकेगी कि बेटा सफ़र में है।।
जरा सी बात है लेकिन हवा को कौन समझाए,
कि मेरी माँ दिए से मेरे लिए काजल बनाती है
सीधा साधा भोला भाला मैं ही सब से सच्चा हूँ,
कितना भी हो जाऊं बड़ा माँ आज भी तेरा बच्चा हूँ
यूँ तो मैंने बुलन्दियों के हर निशान को छुआ,
जब माँ ने गोद में उठाया तो आसमान को छुआ।।
अपनी माँ को कभी न देखूँ तो चैन नहीं आता है,
दिल न जाने क्यूँ माँ का नाम लेते ही बहल जाता है।।
कभी मुस्कुरा दे तो लगता है जिंदगी मिल गयी मुझको,
माँ दुखी हो तो दिल मेरा भी दुखी हो जाता है।।
गिन लेती है दिन बगैर मेरे गुजारें हैं कितने,
भला कैसे कह दूं कि माँ अनपढ़ है मेरी।।
तेरे क़दमों में ये सारा जहां होगा एक दिन,
माँ के होठों पे तबस्सुम को सजाने वाले।।
सबकुछ मिल जाता है दुनिया में मगर,
याद रखना की बस माँ-बाप नहीं मिलते,
मुरझा कर जो गिर गए एक बार डाली से,
ये ऐसे फूल हैं जो फिर नहीं खिलते
बहुत बुरा हो फिर भी उसको बहुत भला कहती है
अपना गंदा बच्चा भी माँ दूध का धुला कहती है।।
नहीं हो सकता कद तेरा ऊँचा किसी भी माँ से ए खुदा,
तू जिसे आदमी बनाता है, वो उसे इन्सान बनाती है।।
उसके होंठों पे कभी बद्दुआ नहीं होती,
बस इक माँ है जो कभी खफा नहीं होती।।
मांग लूँ यह दुआ कि फिर यही जहाँ मिले,
फिर वही गोद मिले फिर वही माँ मिले
Best Shayari on maa
पहाड़ो जैसे सदमे झेलती है उम्र भर लेकिन,
इक औलाद की तकलीफ़ से माँ टूट जाती है।
कल माँ की गोद में, आज मौत की आग़ोश में,
हम को दुनिया में ये दो वक़्त बड़े सुहाने से मिले।
आँसू निकले परदेस में भीगा माँ का प्यार,
दुख ने दुख से बात की बिन चिट्ठी बिन तार।
भूल जाता हूँ परेशानियां ज़िंदगी की सारी,
माँ अपनी गोद में जब मेरा सर रख लेती है।
है गरीब मेरी माँ फिर भी मेरा ख्याल रखती है,
मेरे लिए रोटी और अपने लिए पतीले की खुरचन रखती है।
बालाएं आकर भी मेरी चौखट से लौट जाती हैं,
मेरी माँ की दुआएं भी कितना असर रखती हैं।
वो उजला हो के मैला हो या मँहगा हो के सस्ता हो,
ये माँ का सर है इस पे हर दुपट्टा मुस्कुराता है।
चलती फिरती आँखों से अज़ाँ देखी है,
मैंने जन्नत तो नहीं देखी है माँ देखी है।
तेरे क़दमों में ये सारा जहां होगा एक दिन,
माँ के होठों पे तबस्सुम को सजाने वाले।
किसी भी मुश्किल का अब किसी को हल नहीं मिलता,
शायद अब घर से कोई माँ के पैर छूकर नहीं निकलता।
उमर भर तेरी मोहब्बत मेरी खिदमतगार रही माँ,
मैं तेरी खिदमत के काबिल जब हुआ तू चली गयी माँ।
सबकुछ मिल जाता है दुनिया में मगर,
याद रखना की बस माँ-बाप नहीं मिलते,
मुरझा कर जो गिर गए एक बार डाली से,
ये ऐसे फूल हैं जो फिर नहीं खिलते।
रूह के रिश्तों की ये गहराइयाँ तो देखिये,
चोट लगती है हमें और चिल्लाती है माँ,
हम खुशियों में माँ को भले ही भूल जायें,
जब मुसीबत आ जाए तो याद आती है माँ।
बहुत बेचैन हो जाता है जब कभी दिल मेरा,
मैं अपने पर्स में रखी माँ की तस्वीर को देख लेता हूँ।
बेसन की रोटी पर, खट्टी चटनी सी माँ…
याद आती है चौका, बासन, चिमटा, फूंकनी जैसी माँ।
शहर में आ कर पढ़ने वाले ये भूल गए,
किस की माँ ने कितना ज़ेवर बेचा था।
वो लम्हा जब मेरे बच्चे ने माँ पुकारा मुझे,
मैं एक शाख़ से कितना घना दरख़्त हुई।
नींद भी भला इन आँखों में कहाँ आती है,
एक अर्से से मैंने अपनी माँ को नहीं देखा।
जब भी देखा मेरे किरदार पे धब्बा कोई,
देर तक बैठ के तन्हाई में रोया कोई।
“मेरी माँ”
shayari for mom and dad in hindi
बंद किस्मत के लिये कोई ताली नही होती!
सुखी उम्मीदों की कोई डाली नही होती।
जो झुक जाए माँ -बाप के चरणों में ।
उसकी झोली कभी खाली नही होती
अपनों के दरमियां सियासत फ़िजूल है
मक़सद न हो कोई, तो बग़ावत फ़िजूल है
रोज़ा, नमाज़, सदक़ा-ऐ-ख़ैरात या हो हज
माँ बाप खुश ना हों तो, सारी इबादत फ़िजूल है
हजारो फूल चाहिए एक माला बनाने के लिए,
हजारों दीपक चाहिए एक आरती सजाने के लिए
हजारों बून्द चाहिए समुद्र बनाने के लिए,
पर “माँ “अकेली ही काफी है,
बच्चो की जिन्दगी को स्वर्ग बनाने के लिए..!!
Meri chahat ka jo jahan hain,
Wo meri maa hain.
Meri zameen ka jo aasman hai
Wo meri maa hain.
Mera sb kuchh jis k naam hai
Wo meri maa hain.
Hansi meri jis k wajood se hai
Wo meri maa hain.
Phool me jis tarha khushboo achi lgti hain
Mujhko us tarha meri maa achchi lgti hain
Allah slamat or khush rakhe meri maa ko,
Sari duaon me mujhe ye dua achchi lgti hai
हमारे कुछ गुनाहों की सज़ा भी साथ चलती है
हम अब तन्हा नहीं चलते दवा भी साथ चलती है
अभी ज़िन्दा है माँ मेरी मुझे कुछ भी नहीं होगा
मैं जब घर से निकलता हूँ दुआ भी साथ चलती है
Daastan mere laad pyaar ki
Bas aik hasti k gird ghoomti hai
Pyaar jannat se is liye hai mujhe
Ye meri maa k kadam choomti hai
Best shayari on maa baap
माँ ना होती तो वफ़ा कौन करेगा,
ममता का हक़ भी कौन अदा करेगा,
रब हर एक माँ को सलामत रखना,
वरना हमारे लिए दुआ कौन करेगा.
Pyaa karna koi tum se seekhe
Dular karna koi tum se seekhe
Tum ho mamata ki moorat
Dil me bithayi hai maine yehi soorat
Mere dil ka bas yehi hai kehna
O maa tum bas aisi he rehna
Maa to jannat ka phool hain,
Pyar karna us ka usool hain,
Duniya ki muhabbat fazool hain,
Maa ki har dua kubool hain,
ये जो सख्त रस्तो पे भी आसान सफ़र लगता हे
ये मुझ को माँ की दुआओ का असर लगता हे
एक मुद्दत हुई मेरी मां नही सोई तबिश …
मेने एक बार कहा था के मुझे डर लगता हे..!!!
माँ से रिश्ता कुछ ऐसा बनाया
जिसको निगाहों में बिठाया जाए
रहे उसका मेरा रिश्ता कुछ ऐसा की
वो अगर उदास हो तो हमसे भी मुस्कुराया न जाये
जिँदगी की पहली Teacher माँ,
जिँदगी की पहली Friend माँ,
Jindagi भी माँ क्योँकि,
Zindagi देने वाली भी माँ.
Maa tum pr jaun main vari
Naushavar kardu main apni zindagi sari ki sari
Tum lagti ho mujhe sabse payari
Tum ho pyaar ki devi
Tumhare saath rehna hai mujhe hamesha
Deti hoon hamesha tujhe yehi sandesha
बच्चों को खिलाकर जब सुलादेती है माँ,
तब जाकर थोडा सा सुकोन पाती है माँ,
प्यार कहते हैं किसे ? और ममता क्या चीज़ है ?,
कोई उन बच्चों से पूछे जिनकी गुज़र जाती है माँ,
चाहे हम खुशियों में माँ को भूल जाएँ ,
जब मुसीबत सर पर आती है तो याद आती है माँ.
Maa ke bina zindgi viran hoti hain,
Tanha safar me hr rah sunsaan hoti hain,
Zindagi me maa ka hona zarori hain,
Maa ki duaon se hi har mushkil aasaan hoti h
कौन सी है वो चीज़ जो यहाँ नहीं मिलती,
सब कुछ मिल जाता है लेकिन “माँ” नहीं मिलती…
माँ-बाप ऐसे होते हैं दोस्तों जो ज़िन्दगी में फिर नहीं मिलते,
खुश रखा करो उनको फिर देखो जन्नत कहाँ नहीं मिलती.
Jee mei aata hai, waqt se kuch palon ko mei chura lun…
Maa ki god mei ser rakhkar, kuch pal sukoon ke bita lun.
Duniye ke sang bhaagte bhaagte thak gaya hun maa…
Teri mamta ki chaon tale thodi neerasta ko mita lun…
Teri murat ko in aankhon mei sada ke liye basa lun…
Tujhse kiye har ek waade ko mei zinda rehte nibha lu…
Teri charno ki dhool ko zara maathe pe mei laga lun…
Apni khusiyon ke phoolon se teri raahon ko mei saja dun.
good shayari on maa baap
“माँ” की एक दुआ जिन्दगी बना देगी,
खुद रोएगी मगर तुम्हे हँसा देगी…
कभी भुल के भी ना “माँ” को रूलाना,
एक छोटी सी गलती पूरा अर्श हिला देगी…!!
माँ तेरी याद सताती है मेरे पास आ जाओ,
थक गया हूँ मुझे अपने आँचल में सुलाओ,
उँगलियाँ फेर कर बालों में मेरे,
एक बार फिर से बचपन की लोरियाँ सुनाओ
आँख खोलू तो चेहरा मेरी माँ का हो
आँख बंद हो तो सपना मेरी माँ का हो
मैं मर भी जाऊं तो भी कोई गम नहीं
लेकिन कफ़न मिले तो दुपट्टा मेरी माँ का हो!!
ऐ मेरे मालिक
तूने गुल को गुलशन में जगह दी,
पानी को दरिया में जगह दी,
पंछियो को आसमान मे जगह दी,
तू उस शख्स को जन्नत में जगह देना,
जिसने मुझे “..नौ..” महीने पेट में जगह दी….!!
ये कहकर मंदिर से फल की पोटली चुरा ली माँ ने….
तुम्हे खिलाने वाले तो और बहुत आ जायगे गोपाल…
मगर मैने ये चोरी का पाप ना किया तो भूख से मर जायेगा मेरा लाल…!
किसी ने रोजा रखा किसी ने उपवास रखा,
कुबूल उसका हुआ जिसने अपने माँ-बाप को अपने पास रखा….!!
माँ की अजमत से अच्छा जाम क्या होगा,
माँ की खिदमत से अच्छा काम क्या होगा,
खुदा ने रख दी हो जिस के कदमों में जन्नत,
सोचो उसके सर का मुकाम क्या होगा।
Dard bhari shayari on maa
चलती फिरती आंखों से अजां देखी है,
मैंने जन्नत तो नहीं देखी लेकिन मां देखी है।
मुझे माफ़ कर मेरे या खुदा
झुक कर करू तेरा सजदा
तुझसे भी पहले माँ मेरे लिए
ना कर कभी मुझे माँ से जुदा!
जिसके होने से मैं खुद को मुक्कम्मल मानता हूँ,
में खुदा से पहले मेरी माँ को जानता हूँ।
मां वो सितारा है जिसकी गोद में जाने के लिए हर कोई तरसता है,
जो मां को नहीं पूछते वो जिंदगी भर जन्नत को तरसता है।
माँ की बूढी आंखों को अब कुछ दिखाई नहीं देता,
लेकिन वर्षों बाद भी आंखों में लिखा हर एक अरमान पढ़ लिया।
ना आसमां होता ना जमीं होती,
अगर मां तुम ना होती।
घर में धन, दौलत, हीरे, जवाहरात सब आए,
लेकिन जब घर में मां आई तब खुशियां आई।
मां तुम्हारे पास आता हूं तो सांसें भीग जाती है,
मोहब्बत इतनी मिलती है की आंखें भीग जाती है।
हर घड़ी दौलत कमाने में इस तरह मशरूफ रहा मैं,
पास बैठी अनमोल मां को भूल गया मैं।
मुसीबतों ने मुझे काले बादल की तरह घेर लिया,
जब कोई राह नजर नहीं आई तो मां याद आई।
दुआ है रब से वो शाम कभी ना आए,
जब माँ दूर मुझसे हो जाए।
जमाने ने इतने सितम दिए की रूह पर भी जख्म लग गया,
मां ने सर पर हाथ रख दिया तो मरहम लग गया।
किसी भी मुश्किल का अब किसी को हल नहीं मिलता,
शायद अब घर से कोई मां के पैर छूकर नहीं निकलता।
रूह के रिश्तो की यह गहराइयां तो देखिए,
चोट लगती है हमें और दर्द मां को होता है।
हम खुशियों में मां को भले ही भूल जाए,
जब मुसीबत आ जाए तो याद आती है मां।
खूबसूरती की इंतहा बेपनाह देखी…
जब मैंने मुस्कराती हुई माँ देखी..
सख्त राहों में भी आसान सफर लगता है,
यह मेरी मां की दुआओं का असर लगता है।
हालात बुरे थे मगर अमीर बना कर रखती थी,
हम गरीब थे यह बस हमारी मां जानती थी।
जब जब कागज पर लिखा मैंने मां का नाम,
कलम अदब से बोल उठी हो गए चारों धाम।
मां तेरे एहसास की खुशबू हमेशा ताजा रहती है,
तेरी रहमत की बारिश से मुरादें भीग जाती है।
तकिए बदले हमने बेशुमार लेकिन तकिए हमें सुलाते नहीं,
बेखबर थे हम कि तकिए में मां की गोद को तलाशते नहीं।
राहे मुश्किल थी रोकने की कोशिश बहुत की,
लेकिन रोक न पाए क्योंकि मैं घर से मां के पैर छू निकला था।
जब दवा काम नहीं आती है,
तब माँ की दुआ काम आती है।
कोई सरहद नहीं होती,
कोई गलियारा नहीं होता,
अगर मां की बीच होती,
तो बंटवारा नहीं होता।
मुश्किल घड़ी में ना पैसा काम आया,
ना रिश्तेदार काम आये,
आँख बंद की तो सिर्फ मां याद आयी।
उम्र भर खाली यूं ही मकान हमने रहने दिया,
तुम गए तो दूसरे को कभी यहां रहने ना दिया,
मैंने कल सब चाहतों की किताबे फाड़ दी,
सिर्फ एक कागज पर लिखा मां रहने दिया।
कहीं भी चला जाऊं दिल बेचैन रहता है,
जब घर जाता हूं तो माँ के आंचल में ही सुकून मिलता है।
Best emotional shayari on maa
हर मंदिर, हर मस्जिद और हर चौखट पर माथा टेका,
दुआ तो तब कबूल हुई जब मां के पैरों में माथा टेका।
काम से घर लौट कर आया तो सपने को क्या लाए,
बस एक मां ने पूछा बेटा कुछ खाया कि नहीं।
हर गली, हर शहर, हर देश-विदेश देखा,
लेकिन मां तेरे जैसा प्यार कहीं नहीं देखा।
पैसो से सब कुछ मिलता है पर,
माँ जैसा प्यार कही नही मिलता।
कभी चाउमीन, कभी मैगी, कभी पीजा खाया लेकिन,
जब मां के हाथ की रोटी खायी तब ही पेट भर पाया।
माँ की अजमत से अच्छा जाम क्या होगा,
माँ की खिदमत से अच्छा काम क्या होगा,
खुदा ने रख दी हो जिस के कदमो में जन्नत,
सोचो उसके सर का मुकाम क्या होगा।
हजारो गम है जिन्दगी में,
फिर माँ मुस्कराती है,
तो हर गम भूल जाता हू।
माँ तेरे दूध का हक मुझसे अदा क्या होगा!
तू है नाराज ती खुश मुझसे खुदा क्या होगा!
माँ खुद भूखी होती है, मुझे खिलाती है,
खुद दुःखी होती है, मुझे चेन की नींद सुलाती है।
हर झुला झूल के देखा पर,
माँ के हाथ जैसा जादू कही नही देखा।
जो सब पर कृपा करे उसे ईश्वर कहते है,
ईश्वर को भी जन्म दें उसे मां कहते है।
जो शिक्षा का ज्ञान दे उसे शिक्षक कहते है,
और जो खुशियों का वरदान दे उसे मां कहते है।
भटकती हुई राहों की धूल था मैं
जब मां के चरणों को छुआ तो
चमकता हुआ सितारा बन गया।
पहाड़ो जैसे सदमे झेलती है उम्र भर लेकिन,
बस इक औलाद के सितम से माँ टूट जाती है।
मां तो वो है जो अगर खुश होकर सर पर हाथ रख दे,
तो दुश्मन तो क्या काल भी घबरा जाए।
जब नींद नहीं आती,
तब मां की लोरी याद आती है।
मां कहती नहीं लेकिन सब कुछ समझती है,
दिल की और जुबां की दोनों भाषा समझती है।
मां की दुआ को क्या नाम दूं,
उसका हाथ हो सर पर तो मुकद्दर जाग उठता है।
गिन लेती है दिन बगैर मेरे गुजारें है कितने,
भला कैसे कह दूं कि माँ अनपढ़ है मेरी।
बिन कहे आँखों में सब पढ़ लेती है,
बिन कहे जो गलती माफ़ कर दे वो माँ है।
बर्तन माज कर माँ चार बेटो को पाल लेती है,
लेकिन चार बेटो से माँ को दो वक्त की रोटी नही दी जाती।
खाली पड़ा था मकान मेरा,
जब माँ घर आयी तो घर बना।
उसकी डांट में भी प्यार नजर आता है,
माँ की याद में दुआ नजर आती है।
बिना हुनर के भी वो चार ओलाद पाल लेती है,
कैसे कह दूं कि माँ अनपढ़ है मेरी।
तन्हाई क्या होती उस माँ से पूछो,
जिसका बेटा घर लोट कर नही आया।
रब से करू दुआ बार-बार
हर जन्म मिले मुझे माँ का प्यार
खुदा कबूल करे मेरी मन्नत
फिर से देना मुझे माँ के आंचल की जन्नत।
न तेरे हिस्से आयी न मेरे हिस्से आयी,
माँ जिसके जीवन में आयी उसने जन्नत पायी।
माँ कर देती है पर गिनाती नहीं है,
वो सह लेती है पर सुनाती नहीं है।
Heart touching shayari on maa
खुशी में माँ, ग़म में माँ,
ज़िन्दगी के हर पहलू में माँ,
दर्द को भाप ले, आंसुओं को नाप ले,
ज़िन्दगी के हर कदम पर,
मुश्किलों को ढाक ले,
गोद में सुलाकर जब अपनी एक थाप दे,
दुनिया स्वर्ग लगे, माँ नींद में भी झांक ले,
जब भी तुझसे दूर जाऊं, माँ डर से कांप ले,
चोट जब मुझको लगे,
माँ दूरियों से माप ले,
माँ बस माँ एक ही नाम
हर कदम पर जाप ले…..
ये कैसा क़र्ज़ है जिसे मैं अदा कर ही नहीं सकता,
मैं जब तक घर न आ जाऊं माँ सजदे में रहती है।
सख्त राहों में भी आसान सफ़र लगता है,
ये मेरी माँ की दुआओं का असर लगता है।
गिन लेती है दिन बगैर मेरे गुजारें हैं कितने,
भला कैसे कह दूं कि माँ अनपढ़ है मेरी।
यूँ तो मैंने बुलन्दियों के हर निशान को छुआ,
जब माँ ने गोद में उठाया तो आसमान को छुआ।
मेरी खातिर तेरा रोटी पकाना याद आता है,
अपने हाथो को चूल्हे में जलाना याद आता है।
वो डांट-डांट कर खाना खिलाना याद आता है,
मेरे वास्ते तेरा पैसा बचाना याद आता है।
माँ तेरी याद सताती है मेरे पास आ जाओ,
थक गया हूँ मुझे अपने आँचल मे सुलाओ,
उंगलियाँ अपनी फेर कर बालो में मेरे,
एक बार फिर से बचपन कि लोरियां सुनाओ।
रूह के रिश्तों की ये गहराइयाँ तो देखिये,
चोट लगती है हमें और तड़पती है माँ,
हम खुशियों में माँ को भले ही भूल जायें,
जब मुसीबत आती है तो याद आती है माँ।
ठोकर न मार मुझे पत्थर नहीं हूँ मैं,
हैरत से न देख मुझे मंज़र नहीं हूँ मैं,
तेरी नज़रों में मेरी क़दर कुछ भी नहीं,
मेरी माँ से पूछ उसके लिए क्या नहीं हूँ मैं।
वह माँ ही है जिसके रहते,
जिंदगी में कोई गम नहीं होता,
दुनिया साथ दे या ना दे पर,
माँ का प्यार कभी कम नहीं होता।
कही हो जाये ना घर की मुसीबत लाल को मालूम,
छुपा कर तकलीफें तेरा मुस्कुराना याद आता है।
जब आये थे तुझे हम छोड़ कर परदेश मेरी माँ,
मुझे वो तेरा बहुत आंसू बहाना याद आता है।
सब कुछ मिल जाता है दुनिया में मगर,
याद रखना कि माँ-बाप नहीं मिलते,
मुरझा कर जो गिर जाये एक बार डाली से,
ये ऐसे फूल हैं जो फिर नहीं खिलते।
माँ से रिश्ता ऐसा बनाया जाए,
जिसको निगहों में बिठाया जाए,
रहे उसका मेरा रिश्ता कुछ ऐसे कि,
वो अगर उदास हो तो हमसे श्री मुस्कुराया ना जाऐ।
किसी भी मुस्किल का अब,
किसी को हल नहीं निकलता ,
शायद अब घर से कोई,
माँ के पैर छुकर नहीं निकलता,
जिंदगी की पहली Teacher माँ,
zindagi की पहली Friend माँ ,
जिंदगी भी माँ क्योंकि,
zindagi देने वाली भी माँ
heart touching Shayari on maa in Hindi
खयाल-ए-यार हर एक ग़म को टाल देता है,
सुकून दिल को तुम्हारा जमाल देता है,
ये मेरी माँ की दुआओ का फ़ैज़ है मुझपर,
मैं डूबता हूँ तो समंदर उछाल देता है।
चलती हुई हवाओ से खुशबू महक उठी है,
माँ-बाप की दुआओं से किस्मत चमक उठी है।
गरीब हूँ किसी ज़रदार से नहीं मिलता,
जमीर बेच कर किसी मक्कार से नहीं मिलता,
जो हो सके तो इसको संभाल कर रखना,
ये माँ का प्यार है बाजार में नहीं मिलता।
एक बेवफा को मैंने गले से लगा लिया,
हीरा समझ कर काँच का टुकड़ा उठा लिया,
दुश्मन तो चाहता था मुझको मिटाना मगर,
माँ की दुआओ ने शफ़ी मुझको बचा लिया।
माँ की दुआ कभी खाली नहीं जाती,
मा की बात कभी टाली नहीं जाती,
अपने सब बच्चे पाल लेती है बर्तन धोकर,
और बच्चों से एक माँ पाली नहीं जाती।
शहर में जाकर पढ़ने वाले भूल गए
किसकी माँ ने कितना ज़ेवर बेचा था।
हँसकर मेरा हर गम भुलाती है माँ,
मैं रोता हूँ तो सीने से लगाती है माँ,
बहुत दर्द दिया है इस ज़माने ने मुझको,
सबकुछ झेलकर जीना सिखाती है माँ।
लबों पे उसके कभी बद्दुआ नहीं होती
बस एक मां है जो मुझसे ख़फ़ा नहीं होती
मैं रात भर जन्नत की सैर करता रहा यारों
सुबह आँख खुली तो सर माँ के कदमों में था
इस तरह मेरे गुनाहों को वो धो देती है
माँ बहुत ग़ुस्से में होती है तो रो देती है
किसी भी मुश्किल का अब किसी को हल नहीं मिलता
शायद अब घर से कोई माँ के पैर छूकर नहीं निकलता
किसी को घर मिला, किसी के हिस्से में दुकां आई
मैं घर में सबसे छोटा था मेरे हिस्से में मां आई
न जाने क्यों आज के इंसान इस बात से अनजान हैं
छोड़ देते हैं बुढ़ापे में जिसे वो माँ तो एक वरदान है
एक मुद्दत हुई मेरी मां नहीं सोई तबिश
मैंने एक बार कहा था कि मुझे डर लगता है
माँ तेरे दूध का हक़ मुझसे अदा क्या होगा
तू है नाराज तो खुश मुझसे खुदा क्या होगा
ना जाने माँ क्या मिलाया करती हैं आटे में
ये घर जैसी रोटियाँ और कहीं मिलती नहीं
माँ है तो फिर सब कुछ है इस जहाँ में
कौन कहता है यहाँ जन्नत नहीं मिलती
माँ से बड़कर कोई नाम क्या होगा
इस नाम का हमसे एहतराम क्या होगा
जिसके पैरों के नीचे जन्नत है
उसके सर का मक़ाम क्या होगा
अभी ज़िन्दा है मां मेरी मुझे कु्छ भी नहीं होगा
मैं जब घर से निकलता हूं दुआ भी साथ चलती है
मैंने रोते हुए पोंछे थे किसी दिन आंसू
मुद्दतों मां ने नहीं धोया दुपट्टा अपना
ऐ अंधेरे! देख ले मुंह तेरा काला हो गया
माँ ने आंखें खोल दीं घर में उजाला हो गया
मेरी ख़्वाहिश है कि मैं फिर से फ़रिश्ता हो जाऊं
मां से इस तरह लिपट जाऊं कि बच्चा हो जाऊं
खाने की चीज़ें मां ने जो भेजी हैं गांव से
बासी हो गई हैं मगर लज़्ज़त वही रही
चलती फिरती आँखों से अज़ाँ देखी है
मैंने जन्नत तो नहीं देखी है माँ देखी है
जब तक रहा हूं धूप में चादर बना रहा
मैं अपनी मां का आखिरी ज़ेवर बना रहा
बुज़ुर्गों का मेरे दिल से अभी तक डर नहीं जाता
कि जब तक जागती रहती है माँ मैं घर नहीं जाता
हादसों की गर्द से ख़ुद को बचाने के लिए
माँ ! हम अपने साथ बस तेरी दुआ ले जायेंगे
ख़ुदा ने ये सिफ़त दुनिया की हर औरत को बख्शी है,
कि वो पागल भी हो जाए तो बेटे याद रहते है
मैंने कल शब चाहतों की सब किताबें फाड़ दीं
सिर्फ़ इक काग़ज़ पे लिक्खा लफ़्ज़-ए-मां रहने दिया
अब भी चलती है जब आँधी कभी ग़म की ‘राना’
माँ की ममता मुझे बाहों में छुपा लेती है
सर फिरे लोग हमें दुश्मन-ए-जां कहते हैं
हम जो इस मुल्क की मिट्टी को भी मां कहते हैं
दुआएं मां की पहुंचाने को मीलों मील जाती हैं
कि जब परदेस जाने के लिए बेटा निकलता है
रौशनी देती हुई सब लालटेनें बुझ गईं
ख़त नहीं आया जो बेटों का तो माएं बुझ गईं
शहर के रस्ते हों चाहे गांव की पगडंडियां
मां की उंगली थाम कर चलना मुझे अच्छा लगा
आज लाखों रुपये बेकार हैं
वो एक रुपये के सामने
जो माँ स्कूल जाते वक्त देती थी
ऊपर जिसका अंत नहीं
उसे आसमां कहते हैं
इस जहाँ में जिसका
अंत नहीं उसे
माँ कहते हैं
पूछता है जब कोई मुझसे कि
दुनिया में मुहब्बत अब बची है कहाँ ?
मुस्कुरा देता हूँ मैं
और याद आ जाती है “माँ”
दवा असर ना करे
तो नजर उतारती है
माँ है जनाब
वो कहाँ हार मानती है
हजारों गम हों फिर भी मैं ख़ुशी से फूल जाता हूँ
जब हंसती है मेरी माँ तो मैं हर गम भूल जाता हूँ
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